पलनी की खूबसूरत पहाडि़यों में एक नगीने सा सजा कोडाइकनाल तमिलनाडु का मनमोहक पर्वतीय स्थल है। नैसर्गिक छटा के मध्य अंतरंग पलों की तलाश में निकले हनीमूनर्स हों या स्वास्थ्य लाभ और नई ताजगी के लिए आए सैलानी, सभी को कोडाइकनाल का प्राकृतिक वैभव सम्मोहित करता है। यही कारण है यहां साल भर पर्यटकों का आना लगा रहता है। समुद्रतल से 2133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस जगह की जलवायु सदा सुहानी रहती है और हमेशा एक मीठी ठंड का अहसास बना रहता है। वर्ष 1836 में पहली बार कोडाइकनाल की पहचान वनस्पति व पुष्प प्रेमियों के एक छोटे से स्वर्ग के रूप में हुई थी। ताज्जुब की बात यह है कि यह देश का एकमात्र ऐसा पहाड़ी स्थल है जिसे अमेरिकियों ने खोजा था। 1845 में अमेरिकी मिशनरियों ने यहां एक स्कूल की स्थापना की थी। तब सबसे पहले छह अमेरिकी परिवार यहां आकर बसे थे। उसके कुछ वर्ष बाद यह अंग्रेजों व यूरोपीयों के लिए भी एक आदर्श रिसार्ट बन गया। 20वीं शताब्दी के आरंभ में पूरी तरह सड़क मार्ग से जुड़ने के बाद यह स्थल अन्य सैलानियों को भी आकर्षित करने लगा।
आकर्षित करता कोडाइकनाल झील
हरे-भरे वनों से घिरे पहाड़ी ढलान और उन पर सधी मुद्रा में खड़े ऊंचे वृक्ष कोडाइकनाल आने वाले हर सैलानी को प्रभावित करने लगते हैं। लेकिन यहां का सबसे बड़ा आकर्षण तो कोडाइकनाल झील है। यह विस्तृत झील करीब 24 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली है। ऊंचाई से झील का आकार स्टार फिश के समान दिखाई पड़ता है। यहां आने वाले पर्यटक बोटिंग का आनंद जरूर लेते हैं। इसके लिए दो स्थानों पर बोटिंग की व्यवस्था है। एक ओर यह व्यवस्था पर्यटन विभाग द्वारा की गई है तो दूसरी ओर कोडाइकनाल बोट व रोइंग क्लब बोटिंग का संचालन करता है। समूह में आए सैलानी जहां रोइंग बोट या पैडल बोट द्वारा घूमकर झील की खूबसूरती निहारते हैं तो हनीमून युगल शिकारे में बैठे अपनी ही दुनिया में खो जाते हैं। झील के चारों ओर करीब पांच किलोमीटर लंबी सड़क है जिस पर घुड़सवारी की जा सकती है या फिर साइकिल द्वारा घूमकर झील के सौंदर्य को विभिन्न दिशाओं से कैमरे में कैद किया जा सकता है। झील के आसपास हर समय रहने वाली रौनक को देख कर यह कहना गलत न होगा की यह झील कोडाइकनाल का दिल है। झील के निकट ही स्थित ब्रायंट पार्क भी दर्शनीय स्थान है यहां खूबसूरत पर्वतीय फूलों की बहुत सी प्रजातियां देखी जा सकती हैं। ग्लास हाउस में पहुंच जाएं तो पर्यटक अनेक किस्म के आर्किड देख सकते हैं। ब्रायंट पार्क में करीब 160 वर्ष पुराना एक युकलिप्टस वृक्ष भी है जिसकी ऊंचाई लगभग 250 फुट है।
पैदल घूमने के शौकीन कोडाइकनाल के ऊंचे-नीचे रास्तों पर कहीं भी घूम सकते हैं लेकिन कोकर्स वॉक नामक स्थान पर उन्हें पहाड़ों की वादियों का अलग ही मंजर नजर आता है। पहाड़ी ढलान पर बने इस घुमावदार मार्ग पर चहलकदमी करते हुए एक ओर मैदानी इलाकों का विहंगम दृश्य दिखाई देता है तो दूसरी ओर पलनी पहाडियों के हरे भरे शोलावन नजर आते हैं। इस स्थान की पहचान कोकर नामक अंगे्रज द्वारा किए जाने के कारण इसका नाम कोकर्स वॉक पड़ गया था। यहां स्थित टेलीस्कोप हाउस से कई अनोखे दृश्य देखने को मिलते हैं।
दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय की बहुत मान्यता है। पलनी पहाडि़यों को तो उनका निवास ही कहा जाता है। कोडाइकनाल का कुरिंजी अंदावर मंदिर उन्हीं को समर्पित है। मंदिर के दर्शन करने के उपरांत सैलानी यहां से भी पहाड़ों पर बिखरी प्राकृतिक छटा को निहार सकते हैं। मंदिर से कुछ दूर चेहियार पार्क भी देखने योग्य है।
कोडाइकनाल में ऐसे अनेक स्थान हैं जहां से प्रकृति के विभिन्न रूपों का साक्षात्कार किया जा सकता है। ऐसा ही एक स्थान ग्रीन वैली व्यू है। यहां से घाटी के हरे-भरे दृश्य अत्यंत प्रभावित करते हैं। इस स्थान को पहले स्यूसाइड पाइंट कहा जाता था। दरअसल यहां से घाटी देखने में खतरनाक प्रतीत होती है। इस स्थान पर अनेक दुकानें हैं, जहां से कोडाइकनाल का प्रसिद्ध युकिलिप्टस आयल भी खरीदा जा सकता है। निकट ही कोडाइकनाल का गोल्फ क्लब है।
प्राकृतिक अजूबा
कोडाइकनाल में सैलानियों को एक प्राकृतिक अजूबा भी देखने को मिलता है। झील से सात किमी दूर पिलर राक्स नामक यह अजूबा वास्तव में अद्भुत है। यहां तीन चट्टानें विशाल स्तंभों के समान खड़ी हैं जिनकी ऊंचाई करीब 120 मीटर है। इनके सामने पहाड़ी पर बने मिनी पार्क से पिलर राक्स देखने वाले सैलानियों का तांता लगा रहता है। कभी-कभी उठ आती धुंध के समय तो ये चट्टानें अत्यंत रहस्यमय प्रतीत होती हैं। इसी प्रकार प्रकृति के विविध रूपों को दर्शाते अन्य स्थल डालफिन नाज, मायर पाइंट, साइलेंट वैली व्यू आदि हैं। लेकिन कोडाइकनाल में हनीमूनर्स को सबसे अधिक प्रभावित करने वाला स्थान डॉक्टर्स डिलाइट है। वहां का शांत वातावरण उन्हें बहुत भाता है।
इस पर्वतीय सैरगाह में साहसी पर्यटकों के लिए भी कुछ आकर्षण है। वियर शोला फाल्स ऐसा ही एक पिकनिक स्पाट है। इसके अलावा 11 किमी दूर पेरूमल शिखर, 21 किमी दूर बेरीजम झील और 40 किमी दूर कुक्कल गुफाएं देखने के लिए भी अधिकतर ट्रैकिंग के शौकीन ही पहुंचते हैं। सिल्वर कासकंड नामक संुदर झरना तो मदुरै से कोडाइकनाल आते हुए ही देखने को मिल जाता है। इसकी चांदी सी चमकती धारा के सामने खड़े होकर सैलानी तस्वीरें जरूर खिंचवाते हैं। 19वीं शताब्दी में स्थापित सेक्रेड हार्ट कालेज में आज शेन वागनूर संग्रहालय स्थित है जहां अनेक दर्शनीय पुरातत्व अवशेषों के साथ ही पर्वतीय वनस्पति व जीवों के नमूने भी संग्रहीत हैं। पलनी पहाडियों के मूल निवासी पेलियंस के कुछ स्मृति व कला शेष भी इस संग्रहालय की धरोहर है। आज भी कुछ पेलियंस परिवार कुक्कुल गुफाओं के क्षेत्र में रहते हैं। कोडाइकनाल आने वाले सैलानी 64 किमी दूर स्थित पलनी नामक प्रसिद्ध तीर्थ की यात्रा भी कर सकते हैं। यूं तो सैलानी मदुरै से एक दिन के टूर पर भी कोडाइकनाल घूम सकते हैं लेकिन यहां की मन को लुभाने वाली आबोहवा का आनंद लेना हो तो यहां तीन चार दिन रुकना चाहिए।
कोडाइकनाल दक्षिण भारत में तमिलनाडु के प्रसिद्ध शहर मदुरै के निकट स्थित है। समुद्रतल से 2133 मीटर ऊंचाई पर स्थित इस पर्वतीय स्थल का क्षेत्रफल 21.5 वर्ग किमी है। बारिश को छोड़ यहां हर मौसम में जाया जा सकता है। यहां की जलवायु के अनुसार हल्के ऊनी वस्त्र साथ रखना ठीक रहता है।
कैसे जाएं
वायुमार्ग: 107 किमी दूर मदुरै और 138 किमी दूर कोयंबटूर यहां के लिए निकटतम हवाई अड्डे हैं, जहां से टैक्सी आसानी से उपलब्ध हो जाती है।
रेलमार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन कोडाइकनाल रोड स्टेशन है किंतु मदुरै अधिक सुविधाजनक है।
सड़क मार्ग: मदुरै, कोडाइकनाल रोड, डिंडिगुल कोयंबटूर, तिरुचिरापल्ली, चेन्नई और बंगालुरू से कोडाइकनाल जाने के लिए नियमित बस व टैक्सी सेवा उपलब्ध है।
कहां ठहरें
इस पहाड़ी सैरगाह में ठहरने के लिए अच्छे होटलों का कोई अभाव नहीं है। होटल तमिलनाडु, कोडाई रेसार्ट होटल, कोडाई इंटरनेशनल, स्टलिंग वैली व्यू, होटल क्लिफ्टोन, ताज विला वैगाई होटल, होटल पैलेस, इंटरनेशनल टूरिस्ट लॉज आदि कुछ प्रमुख होटल हैं।

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