हांगकांग, ताइवान और चीन जैसे देशों के पड़ोस में बसा है मकाओ। यह छोटा सा देश गुआंगडौंग प्रॉविंस के पर्लरिवर डेल्टा के दो द्वीपों और एक प्रायद्वीप को मिलाकर बना है। यहां लगातार बढ़ता पर्यटन इस बात का गवाह है कि यहां आने वाले लोगों को लगभग वह सभी चीजें मिल जाती हैं जिनका लुत्फ उठाने के लिए वे विकसित देशों में जाना चाहते हैं।
दिलचस्प है इतिहास
मकाओ का इतिहास खास तौर से दिलचस्प है। शुरुआती दौर में चीन के कुछ हिस्सों से तमाम मछुआरे अपने जहाजों की मरम्मत करने और पीने के पानी की तलाश में मकाओ के द्वीपों पर आया करते थे।
चीन की भाषा में मकाओ का अर्थ है खाड़ी का दरवाजा। यह नाम इस द्वीप की व्यावहारिकता के कारण ही पड़ा। कुछ चीनियों के अनुसार दक्षिण चीनी क्षेत्र में मछुआरे आ-मा नामक देवी की पूजा करते थे और इसी देवी का एक मंदिर यहां बनाया गया। जब 1554-57 के बीच यहां पुर्तगाली आए तो उन्होंने मंदिर के आधार पर ही इस क्षेत्र का नाम आमा गाओ या आ मा की खाड़ी कर दिया और यही आमा गाओ धीरे-धीरे मकाओ के नाम से जाना जाने लगा। मकाओ चीन का ही एक विशेष प्रशासित क्षेत्र है, बिलकुल वैसे ही जैसे 1997 तक हांगकांग था। पर मकाओ का एक खास माहौल है जो इसे हांगकांग और चीन से अलग बनाता है। चीनी, पुर्तगाली और ब्रिटिश संस्कृतियों का एक अनूठा संगम है मकाओ, जिसने अपने पांच शताब्दियों के इतिहास में एक भी युद्ध नहीं देखा है। लगातार होती आर्थिक प्रगति मकाओ के परिश्रमी आधुनिक और प्रगतिशील निवासियों की मेहनत का परिणाम है।
ताइपा और कोलोएन द्वीप
ताइपा और कोलोएन नामक दो द्वीपों के कारण मकाओ स्वयं को विदेशी पर्यटकों से घिरा हुआ पाता है। ये द्वीप पारंपरिक होते हुए भी आधुनिक है। मीलों तक फैले समुद्रतट, उनके किनारे बसे चीनी गांव और जंगलों से भरी पहाडि़यां हजारों पर्यटकों को अपनी ओर लुभाती हैं। मकाओ अंतरराष्ट्रीय अड्डा, यूनिवर्सिटी ऑफ मकाओ, जॉकी क्लब रेस वे तथा मकाओ स्टेडियम के कारण ताइपा पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। वैसे यहां की परंपरा की झलक आपको चीनी मंदिरों, नाव बनाने वाले शिपयार्डो तथा परिवार शैली वाले रेस्टोरेंटों में मिलेगी। ताइपा यदि आधुनिक व पारंपरिक दोनों है तो कोलोएन तुलनात्मक रूप से ग्रामीण है। यहां की हरियाली के कारण ही इसे एक आदर्श गोल्फ कंट्री मान लिया गया है। वाटर स्पोर्ट्स, जंगल ट्रेकिंग तथा गोकार्टिग ट्रैक ने कोलोएन को खेलप्रेमियों के लिए प्रिय स्थान बना दिया है। आमा देवी की करीब 20 मीटर ऊंची मूर्ति साउथ चाइना सी में बहुत दूर से दिखाई देती है। इसकी पूजा स्थानीय मछुआरे आज भी करते हैं। 1557 में जब पुर्तगालियों ने यूरोप का पहला बसेरा चीन के समुद्रतट पर बसाया तो उन्होंने मकाओ को ईश्वर का शहर कहा। यहां सबसे पहले आने वालों में कुछ पादरी थे और इसीलिए पहले जो इमारतें बनीं उसमें अधिकतर चर्च थे। शुरुआती दिनों में बनने वाले चर्च लकड़ी व मैटिंग के बने थे, फिर वे मिट्टी के बने और मध्य 17वीं शताब्दी से पत्थर व प्लास्टर के गिरजाघर बनने शुरू हुए।
मकाओ के चर्च
मकाओ के चर्च ब्रिटिश व चीनी निर्माण शैली का अद्भुत नमूना हैं। समय के साथ बहुत से पुराने चर्च नष्ट हो गए, पर अपनी विरासत को सहेजने में विश्वास करने वाले मकाओवासियों ने लगभग हर चर्च का पुनर्निमाण किया। आज मकाओ की जनता के जीवन में कैथलिक चर्च का खासा प्रभाव देखा जाता है। यहां लगभग 20,000 कैथलिक लोग रहते हैं, जिनके विश्वास को करीब 87 पुर्तगाली व चीनी पादरी थामे हुए हैं। इनमें कुछ प्रसिद्ध चर्च हैं-चैपल ऑफ आवर लेडी गुआ, चैपल ऑफ आवर लेडी ऑफ पेन्हा, चैपल ऑफ संत फ्रांसिस जेवियर और चैपल ऑफ सेंट जेम्स आदि। मकाओ के सभी चर्चो की भीतरी सजावट अत्यंत सुंदर है, जिन्हें देखने गैर ईसाई लोग भी यहां आते हैं।
चीन का असर
मकाओ के जनजीवन पर मुख्य रूप से चूंकि चीन की संस्कृति का ही प्रभाव है, इसलिए चीन की ही तरह यहां भी बहुत से बौद्ध व ताओ मंदिर देखे जा सकते हैं। विश्व के विभिन्न भागों से यहां आए बौद्ध धर्म के अनुयायियों को बड़ी तादाद में इन मंदिरों में पूजा करते हुए देखा जा सकता है, पर अन्य धर्मो के लोग भी प्राचीन परंपरा व वास्तुकला के इन अनूठे उदाहरणों के दर्शन के लिए आते हैं।
तमाशा है हमेशा
एशिया के लास वेगास कहलाने वाले मकाओ ने कैसिनो (जुआघर) के दम पर पूरे विश्व में अपनी अलग जगह बना ली है। यह एक ऐसा शहर है जहां 24 घंटे कोई न कोई तमाशा चलता रहता है और असंख्य तमाशबीनों की भी भीड़ जुटी रहती है। नाइट एंटरटेनमेंट के लिए सारी रात पब व बार खुले रहते हैं। खेल व रेसों पर अपना दांव लगाने वालों के लिए कार रेस, घोड़ों की रेस व कुत्तों की रेस भी यहां वर्ष भर होती रहती है।
खानपान की विविधता
खाने-पीने का आनंद उठाना हो तो इस दृष्टि से भी मकाओ आपके सामने एक बहुत बड़ी वैरायटी पेश करता है। यहां पोरचुगीज, मकानीज, चाइनीज, यूरोपियन, जैपनीज व थाई फूड सड़क के किनारे लगी स्टॉलों व बड़े-बड़े रेस्टोरेंटों में दिखता है। स्थानीय रेस्टोरेंट भारतीय व्यंजन भी ऑफर करते हैं। यहां आने वाले लोग पोरचुगीज वाइन खास तौर से पीते हैं, क्योंकि यह मकाओ में काफी सस्ती है।
सुहाना मौसम
आम तौर पर मकाओ का तापमान लगभग 16 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच ही रहता है। मौसम अकसर सुहाना होने के कारण ही यहां साल भर पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है। फिर भी अक्टूबर से दिसंबर के बीच का मौसम यहां आने के लिए सर्वोत्तम है, जब दिन बहुत गर्म नहीं होते और उमस कम होती है। जनवरी से मार्च तक थोड़ी ठंड पड़ती है।
जा सकते हैं हांगकांग
आप मकाओ से अगर हांगकांग भी जाना चाहें तो फेरी या हेलीकॉप्टर से जा सकते हैं। मकाओ का एयरपोर्ट ताइपा में है जो एशिया, यूरोप व अमरीका से एयरलिंक से जुड़ा है। मकाओ का ट्रांसपोर्ट सिस्टम भी बहुत सुविधाजनक है। टैक्सी लेकर कभी भी आप मकाओ के एक कोने से दूसरे कोने तक जा सकते हैं। वैसे शहर का भ्रमण बस के द्वारा भी किया जा सकता है। आमतौर पर यहां के स्थानीय लोगों के आपसी बोलचाल की भाषा चीनी और पुर्तगाली है। इसके बावजूद अंग्रेजी भी अधिकतर लोग समझते हैं। इसीलिए यहां आने वाले पर्यटकों के लिए भाषा कोई समस्या नहीं होती। पटाका यहां की मुद्रा है, लेकिन हांगकांग डॉलर भी स्वीकार किए जाते हैं। इतिहास, परंपरा व आधुनिकता का मिश्रण बने मकाओ ने विश्व के लोकप्रिय पर्यटक स्थलों में अपनी अलग व अनूठी पहचान बना ली है।
शॉपिंग करने वालों का स्वर्ग
फ्री पोर्ट होने के कारण मकाओ शॉपिंग करने वालों के लिए स्वर्ग के समान है। घडि़यां, चीनी कलाकृतियां, पोर्सलेन व इलेक्ट्रानिक सामान यहां अन्य पड़ोसी देशों की तुलना में सस्ते हैं। बड़े-बड़े शोरूम व फैशन स्टोर के अलावा खुले बाजार भी हैं जहां हर बजट के अनुसार तरह-तरह के सामान खरीदे जा सकते हैं। सस्ती व स्थानीय चीजों के लिए सेनाडो स्कवेयर व रेड मार्केट जाइए जो मकाओ के बीचोबीच हैं। चीनी सोना खरीदना हो तो मकाओ में यह उपलब्ध है और इस पर कर भी माफ है। मकाओ का पोर्सलेन उद्योग बहुत विकसित है और यही कारण है कि विदेशों में पोर्सलेन यहां से निर्यात किया जाता है। हालांकि अधिकांश पोर्सलेन की वस्तुएं चीन में बनती हैं, पर मकाओ में इनकी बिक्री के लिए अनेक दुकानों हैं। पारंपरिक कलाकृतियों व हस्तशिल्पों के लिए भी आप मकाओ के सभी लोकप्रिय बाजारों में जा सकते हैं, पर सभी दुकानों में एक ही चीज के दाम अलग-अलग हो सकते है। अधिकांश शोरूम वीजा, मास्टर व अमेरिकन एक्सप्रेस कार्ड स्वीकार करते हैं, अत: बहुत ज्यादा कैश पैसा ले जाने की जरूरत नहीं है।
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