सिंगापुर हवाई अड्डे पर उतर कर सबसे पहले मैंने हवाई अड्डे पर अपने चारों तरफ उड़ती नजर डाली। सुना तो मैंने बहुत बार था कि यह बहुत ही खूबसूरत और अनुशासित देश है, पर सचमुच ऐसा होगा भी इस पर विश्वास करना जरा कठिन था। दो-तीन दिन घूमने के बाद लगा कि जितना सुना था वह तो कम था। सच यह है कि यह हमारी कल्पना से कहीं ज्यादा सुंदर और अनुशासनप्रिय देश है। अपने देश की ऐसी छवि बनाने में सिंगापुर के एक-एक व्यक्ति का योगदान सराहनीय है। सच पूछिए तो मौज-मस्ती और खाने-पीने के लिए अगर जाना हो तो एशिया में सिंगापुर सबसे अच्छी जगह है।
सुंदरता और अनुशासनप्रियता के लिए यह जितना जाना जाता है, उससे ज्यादा ख्याति इसकी भारतीयों के प्रति मैत्री और सौहार्दपूर्ण व्यवहार के लिए है। भारत के पेशेवरों को सरकार इस बात के लिए प्रोत्साहित कर रही है कि वे यहां आएं, रहें और परिवार बसाएं। अगर आपका बच्चा वहां सातवीं-आठवीं कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करता है तो वह स्टार स्कॉलरशिप का हकदार होगा। हॉस्टल में रहना और पढ़ाई तो उसकी मुफ्त होगी ही। बच्चों के जन्म पर भी वहां खास इनसेंटिव दिए जाते हैं। शायद यही वजह है जो अब वहां जाने वाले भारतीयों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। एक अनुमान के मुताबिक सिंगापुर की करीब 50 लाख की आबादी में लगभग पौने तीन लाख भारतीय हैं। सिंगापुर की सरकार चाहती है कि यहां ज्यादा से ज्यादा भारतीय लोग आकर रहें क्योंकि उन्हें बड़ी संख्या में कुशल कामगारों की जरूरत है, जो भारत में ही मिलते हैं। अपने यहां महत्वपूर्ण पदों पर भी भारतीयों को अवसर देने की घोषणाएं सरकार समय-समय पर करती रहती है।
सेंटोसा आइलैंड
शहर से केवल 15 मिनट की दूरी पर मौजूद है सेंटोसा आइलैंड। एक छोटे से द्वीप पर बने इस रिसॉर्ट में आकर्षण के कई ऐसे बिंदु हैं जो भारत में फिलहाल नहीं हैं। यहां रोज शाम को एक मनोरंजक कार्यक्रम होता है- सांग्स ऑफ सी। सागर की लहरों के साथ संगीत की धुनों को ऐसे बांधा गया है कि प्रकृति अपनी पूरी जीवंतता के साथ मूर्तमान हो उठती है।
जीवों की दुनिया में यहां आने वाला हर पर्यटक बर्ड पार्क, साइंस सेंटर और नाइट सफारी जरूर जाता है। जुरॉन्ग बर्ड पार्क में हॉर्नबिल, टुकॉन्स, पेलिकन, फ्लेमिंगो और रॉयल रैंबल जैसे दुर्लभ पक्षी तो हैं ही, ध्रुवीय इलाके में पाए जाने वाले पेंग्विन भी मौजूद हैं। कुल 600 प्रजातियों के 9000 पक्षी यहां हैं। आगंतुकों के मनोरंजन के लिए बर्ड शो भी यहां रोज होता है। झीलों के अलावा यहां कई झरने भी हैं। बच्चों के लिए तो यहां मनोरंजन का पूरा संसार ही है। जंगली जीवों में दिलचस्पी रखने वालों के लिए सबसे महत्वपूर्ण जगह है नाइट सफारी। शहर से करीब आधे घंटे की दूरी पर मौजूद इस सफारी में रात के समय जंगली जंतुओं के जीवन का जायजा लेना अनूठा अनुभव है। भारत, नेपाल, मलेशिया और म्यांमार के मैदानी व पहाड़ी इलाकों में पाए जाने वाले कई तरह के जंतु तो यहां हैं ही, कुछ अफ्रीकी जानवर भी देखे जा सकते हैं। इसी तरह बॉटैनिकल गार्डेन में कई देशों से लाकर तरह-तरह के पौधे रोपे गए हैं। सिंगापुर साइंस सेंटर में विज्ञान जगत में रुचि लेने वाले लोगों, विशेषतया बच्चों के देखने-सीखने के लिए काफी कुछ है। साढ़े आठ सौ से ज्यादा वैज्ञानिक मॉडल यहां प्रदर्शित किए गए हैं। यहां एक और मजेदार चीज देख सकते हैं- फोर डी मूवी यानी चार आयामी चलचित्र।
यात्रा के देवता
यात्रियों के लिए यहां एक चीनी मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग यहां से पूजा करके जाते हैं उनकी यात्रा सुखद व सफल होती है। यहां एक दिलचस्प जगह सिंगापुर फ्लायर भी है। यह दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा झूला है, जिसकी ऊंचाई 165 मीटर है। बच्चे इस झूले का आनंद लेने के लिए हमेशा आतुर रहते हैं। इसी फ्लायर के नीचे एक फिश स्पा भी है। इसके लिए वहां एक उथले कृत्रिम ताल में खास किस्म की मछलियां पाली गई हैं। बेहद छोटी-छोटी और रंग-बिरंगी ये मछलियां पैरों का मसाज करती हैं।
खरीदारी के लिए मुस्तफा मॉल
आप सिंगापुर जाएं और वहां शॉपिंग न करें तो जाना अधूरा रह जाएगा। यहां खरीदारी के शौकीन लोगों के लिए काफी कुछ है। सिंगापुर के प्रमुख बाजार हैं लिटिल इंडिया, चाइना टाउन और सुलतान गेट। चाइना टाउन का मुस्तफा मॉल दुनिया भर में मशहूर है। घरेलू उपयोग के तमाम सुंदर और टिकाऊ सामान यहां सस्ते मूल्य पर उपलब्ध हो जाते हैं। इलेक्ट्रॉनिक सामानों की खरीदारी के शौकीन लोगों के लिए तो यह स्वर्ग ही है। कहते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक सामानों के कई थोक विके्रता तो भारत से सुबह की फ्लाइट से यहां आते हैं और सिर्फ मुस्तफा में खरीदारी कर शाम को वापस भारत लौट जाते हैं।
एशिया का फूड कैपिटल
मुस्तफा में खरीदारी करते-करते यदि आपको भूख लग जाए तो उसके बाहर कई भारतीय रेस्टोरेंट हैं। इनमें एक सागर रत्ना भी है। वैसे खाने-पीने की जगहों की यहां कोई कमी नहीं है। आप चाहे भारतीय भोजन पसंद करते हों या चीनी या फिर किसी और देश का, हर तरह का भोजन यहां आसानी से उपलब्ध है। शायद यही वजह है कि इसे एशिया का फूड कैपिटल कहा जाता है। शाकाहारी और मांसाहारी सभी तरह के भोजन यहां खूब मिलते हैं। छोटे-बड़े और सस्ते-महंगे हर तरह के रेस्तरां यहां मिल जाएंगे। सेंटोसा में कैफे डेल मार्क, बर्ड पार्क में बोंगो बर्गर, नाइट सफारी में उलू उलू सफारी रेस्तरां, बॉटैनिकल गार्डेन में मुत्थूज करी रेस्तरां में आप नाश्ता या भोजन कर सकते हैं। इसके अलावा ढाबे भी यहां काफी साफ-सुथरे और सुरक्षित हैं। सरकार ने उन्हें कुछ खास सुविधाएं मुहैया करा रखी हैं और साथ ही उनके लिए कुछ दिशा निर्देश भी तय हैं। चूंकि कानून का पालन वहां हर मामले में काफी कड़ाई के साथ होता है, इसलिए वह सारी शर्ते इन पर लागू होती हैं। इस बात का पूरा खयाल रखा जाता है कि इनका भोजन सेहत के लिए नुकसानदेह न होने पाए।
जहां तक ड्रिंक्स का मामला है, अंतरराष्ट्रीय स्तर के सारे ड्रिंक्स यहां आसानी से मिल जाते हैं। फिर सिंगापुर जाएं और ड्रिंक्स के शौकीन हों तो सिंगापुर स्लिंग ले सकते हैं। यह एक तरह की कॉकटेल है, जो सिर्फ सिंगापुर में ही मिलती है। इसके अलावा टाइगर नाम की खास किस्म की बियर भी यहां मिलती है। वाइन और व्हिस्की के सारे विदेशी ब्रांड यहां आसानी से मिल जाते हैं। सॉफ्ट ड्रिंक्स में यहां कटहल से लेकर आम, केला, नारियल और एक खास स्थानीय फल स्टार फ्रूट का भी जूस सारे शहर में मिलता है।
कैसे जाएं
सिंगापुर के लिए भारत के सभी प्रमुख हवाई अड्डों से उड़ानें उपलब्ध हैं। दिल्ली से वहां पहुंचने में करीब पांच घंटे लगते हैं।
स्थानीय भ्रमण: देश के भीतर विभिन्न स्थान घूमने के लिए बढि़या बसें उपलब्ध हैं। आप चाहें तो टैक्सी भी ले सकते हैं।
मौसम: भूमध्य रेखा के प्रभाव वाले इस देश में तापमान हमेशा एक-सा रहता है। आर्द्रता यहां भरपूर बनी रहती है। इसलिए गर्म कपड़ों की कोई जरूरत नहीं होती। उत्तर पूर्वी इलाके में नवंबर से जनवरी के बीच भारी बारिश होती है। इस दौरान उधर जाना हो तो बरसाती कपड़े जरूर ले जाएं।
लोग और भाषाएं: चीन के ताओ धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या यहां सबसे ज्यादा है। इनके बाद बौद्ध और मुसलमान हैं। ईसाइयों और हिंदुओं की आबादी भी है। सामान्यत: यहां चार भाषाएं बोली जाती हैं। ये हैं-मलय, चीनी, तमिल और अंग्रेजी। वैसे अगर आप अंग्रेजी जानते हैं तो आसानी से काम चल सकता है।
त्योहार: कई देशों और समुदायों के लोगों की आबादी यहां होने के कारण त्योहार भी यहां खूब मनाए जाते हैं। इनमें चीनी नववर्ष, ड्रैगन बोट फेस्टिवल और मिड ऑटम फेस्टिवल खास तौर से धूम-धड़ाके के अवसर होते हैं। इस दौरान पूरे सिंगापुर का माहौल उत्सवधर्मी हो जाता है।
सुंदरता और अनुशासनप्रियता के लिए यह जितना जाना जाता है, उससे ज्यादा ख्याति इसकी भारतीयों के प्रति मैत्री और सौहार्दपूर्ण व्यवहार के लिए है। भारत के पेशेवरों को सरकार इस बात के लिए प्रोत्साहित कर रही है कि वे यहां आएं, रहें और परिवार बसाएं। अगर आपका बच्चा वहां सातवीं-आठवीं कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त करता है तो वह स्टार स्कॉलरशिप का हकदार होगा। हॉस्टल में रहना और पढ़ाई तो उसकी मुफ्त होगी ही। बच्चों के जन्म पर भी वहां खास इनसेंटिव दिए जाते हैं। शायद यही वजह है जो अब वहां जाने वाले भारतीयों की तादाद तेजी से बढ़ रही है। एक अनुमान के मुताबिक सिंगापुर की करीब 50 लाख की आबादी में लगभग पौने तीन लाख भारतीय हैं। सिंगापुर की सरकार चाहती है कि यहां ज्यादा से ज्यादा भारतीय लोग आकर रहें क्योंकि उन्हें बड़ी संख्या में कुशल कामगारों की जरूरत है, जो भारत में ही मिलते हैं। अपने यहां महत्वपूर्ण पदों पर भी भारतीयों को अवसर देने की घोषणाएं सरकार समय-समय पर करती रहती है।
सेंटोसा आइलैंड
शहर से केवल 15 मिनट की दूरी पर मौजूद है सेंटोसा आइलैंड। एक छोटे से द्वीप पर बने इस रिसॉर्ट में आकर्षण के कई ऐसे बिंदु हैं जो भारत में फिलहाल नहीं हैं। यहां रोज शाम को एक मनोरंजक कार्यक्रम होता है- सांग्स ऑफ सी। सागर की लहरों के साथ संगीत की धुनों को ऐसे बांधा गया है कि प्रकृति अपनी पूरी जीवंतता के साथ मूर्तमान हो उठती है।
जीवों की दुनिया में यहां आने वाला हर पर्यटक बर्ड पार्क, साइंस सेंटर और नाइट सफारी जरूर जाता है। जुरॉन्ग बर्ड पार्क में हॉर्नबिल, टुकॉन्स, पेलिकन, फ्लेमिंगो और रॉयल रैंबल जैसे दुर्लभ पक्षी तो हैं ही, ध्रुवीय इलाके में पाए जाने वाले पेंग्विन भी मौजूद हैं। कुल 600 प्रजातियों के 9000 पक्षी यहां हैं। आगंतुकों के मनोरंजन के लिए बर्ड शो भी यहां रोज होता है। झीलों के अलावा यहां कई झरने भी हैं। बच्चों के लिए तो यहां मनोरंजन का पूरा संसार ही है। जंगली जीवों में दिलचस्पी रखने वालों के लिए सबसे महत्वपूर्ण जगह है नाइट सफारी। शहर से करीब आधे घंटे की दूरी पर मौजूद इस सफारी में रात के समय जंगली जंतुओं के जीवन का जायजा लेना अनूठा अनुभव है। भारत, नेपाल, मलेशिया और म्यांमार के मैदानी व पहाड़ी इलाकों में पाए जाने वाले कई तरह के जंतु तो यहां हैं ही, कुछ अफ्रीकी जानवर भी देखे जा सकते हैं। इसी तरह बॉटैनिकल गार्डेन में कई देशों से लाकर तरह-तरह के पौधे रोपे गए हैं। सिंगापुर साइंस सेंटर में विज्ञान जगत में रुचि लेने वाले लोगों, विशेषतया बच्चों के देखने-सीखने के लिए काफी कुछ है। साढ़े आठ सौ से ज्यादा वैज्ञानिक मॉडल यहां प्रदर्शित किए गए हैं। यहां एक और मजेदार चीज देख सकते हैं- फोर डी मूवी यानी चार आयामी चलचित्र।
यात्रा के देवता
यात्रियों के लिए यहां एक चीनी मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि जो लोग यहां से पूजा करके जाते हैं उनकी यात्रा सुखद व सफल होती है। यहां एक दिलचस्प जगह सिंगापुर फ्लायर भी है। यह दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा झूला है, जिसकी ऊंचाई 165 मीटर है। बच्चे इस झूले का आनंद लेने के लिए हमेशा आतुर रहते हैं। इसी फ्लायर के नीचे एक फिश स्पा भी है। इसके लिए वहां एक उथले कृत्रिम ताल में खास किस्म की मछलियां पाली गई हैं। बेहद छोटी-छोटी और रंग-बिरंगी ये मछलियां पैरों का मसाज करती हैं।
खरीदारी के लिए मुस्तफा मॉल
आप सिंगापुर जाएं और वहां शॉपिंग न करें तो जाना अधूरा रह जाएगा। यहां खरीदारी के शौकीन लोगों के लिए काफी कुछ है। सिंगापुर के प्रमुख बाजार हैं लिटिल इंडिया, चाइना टाउन और सुलतान गेट। चाइना टाउन का मुस्तफा मॉल दुनिया भर में मशहूर है। घरेलू उपयोग के तमाम सुंदर और टिकाऊ सामान यहां सस्ते मूल्य पर उपलब्ध हो जाते हैं। इलेक्ट्रॉनिक सामानों की खरीदारी के शौकीन लोगों के लिए तो यह स्वर्ग ही है। कहते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक सामानों के कई थोक विके्रता तो भारत से सुबह की फ्लाइट से यहां आते हैं और सिर्फ मुस्तफा में खरीदारी कर शाम को वापस भारत लौट जाते हैं।
एशिया का फूड कैपिटल
मुस्तफा में खरीदारी करते-करते यदि आपको भूख लग जाए तो उसके बाहर कई भारतीय रेस्टोरेंट हैं। इनमें एक सागर रत्ना भी है। वैसे खाने-पीने की जगहों की यहां कोई कमी नहीं है। आप चाहे भारतीय भोजन पसंद करते हों या चीनी या फिर किसी और देश का, हर तरह का भोजन यहां आसानी से उपलब्ध है। शायद यही वजह है कि इसे एशिया का फूड कैपिटल कहा जाता है। शाकाहारी और मांसाहारी सभी तरह के भोजन यहां खूब मिलते हैं। छोटे-बड़े और सस्ते-महंगे हर तरह के रेस्तरां यहां मिल जाएंगे। सेंटोसा में कैफे डेल मार्क, बर्ड पार्क में बोंगो बर्गर, नाइट सफारी में उलू उलू सफारी रेस्तरां, बॉटैनिकल गार्डेन में मुत्थूज करी रेस्तरां में आप नाश्ता या भोजन कर सकते हैं। इसके अलावा ढाबे भी यहां काफी साफ-सुथरे और सुरक्षित हैं। सरकार ने उन्हें कुछ खास सुविधाएं मुहैया करा रखी हैं और साथ ही उनके लिए कुछ दिशा निर्देश भी तय हैं। चूंकि कानून का पालन वहां हर मामले में काफी कड़ाई के साथ होता है, इसलिए वह सारी शर्ते इन पर लागू होती हैं। इस बात का पूरा खयाल रखा जाता है कि इनका भोजन सेहत के लिए नुकसानदेह न होने पाए।
जहां तक ड्रिंक्स का मामला है, अंतरराष्ट्रीय स्तर के सारे ड्रिंक्स यहां आसानी से मिल जाते हैं। फिर सिंगापुर जाएं और ड्रिंक्स के शौकीन हों तो सिंगापुर स्लिंग ले सकते हैं। यह एक तरह की कॉकटेल है, जो सिर्फ सिंगापुर में ही मिलती है। इसके अलावा टाइगर नाम की खास किस्म की बियर भी यहां मिलती है। वाइन और व्हिस्की के सारे विदेशी ब्रांड यहां आसानी से मिल जाते हैं। सॉफ्ट ड्रिंक्स में यहां कटहल से लेकर आम, केला, नारियल और एक खास स्थानीय फल स्टार फ्रूट का भी जूस सारे शहर में मिलता है।
कैसे जाएं
सिंगापुर के लिए भारत के सभी प्रमुख हवाई अड्डों से उड़ानें उपलब्ध हैं। दिल्ली से वहां पहुंचने में करीब पांच घंटे लगते हैं।
स्थानीय भ्रमण: देश के भीतर विभिन्न स्थान घूमने के लिए बढि़या बसें उपलब्ध हैं। आप चाहें तो टैक्सी भी ले सकते हैं।
मौसम: भूमध्य रेखा के प्रभाव वाले इस देश में तापमान हमेशा एक-सा रहता है। आर्द्रता यहां भरपूर बनी रहती है। इसलिए गर्म कपड़ों की कोई जरूरत नहीं होती। उत्तर पूर्वी इलाके में नवंबर से जनवरी के बीच भारी बारिश होती है। इस दौरान उधर जाना हो तो बरसाती कपड़े जरूर ले जाएं।
लोग और भाषाएं: चीन के ताओ धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या यहां सबसे ज्यादा है। इनके बाद बौद्ध और मुसलमान हैं। ईसाइयों और हिंदुओं की आबादी भी है। सामान्यत: यहां चार भाषाएं बोली जाती हैं। ये हैं-मलय, चीनी, तमिल और अंग्रेजी। वैसे अगर आप अंग्रेजी जानते हैं तो आसानी से काम चल सकता है।
त्योहार: कई देशों और समुदायों के लोगों की आबादी यहां होने के कारण त्योहार भी यहां खूब मनाए जाते हैं। इनमें चीनी नववर्ष, ड्रैगन बोट फेस्टिवल और मिड ऑटम फेस्टिवल खास तौर से धूम-धड़ाके के अवसर होते हैं। इस दौरान पूरे सिंगापुर का माहौल उत्सवधर्मी हो जाता है।
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