पर्वतारोहण के शौकीन लोगों के लिए संदकफू दिलचस्प जगह है। संदकफू के लिए ट्रेकिंग भारत-नेपाल सीमा पर स्थित मानेमंजन से शुरू होती है। करीब 12 हजार फुट ऊंची संदकफू चोटी मानेमंजन से 42 किमी दूर है। पैदल चलने का अभ्यास हो तो एक ही दिन में यह दूरी तय की जा सकती है, नहीं तो एक रात बीच के किसी गांव में बिताई जा सकती है। राह में कई छोटे-छोटे गांव हैं। ट्रेकिंग का यह रूट बस कहने भर को सड़क है। पहाड़ को काटकर किनारे थोड़ा सा रास्ता बना दिया गया है। रास्ता इतना ऊबड़-खाबड़ और चक्करदार है कि एक कदम गलत पड़े तो हजारों फुट नीचे गड्ढे में जाना पड़ेगा। पूरे रास्ते काले, सफेद, स्लेटी बादल आपको छूते हुए गुजरते हैं। लगभग 11 हजार फुट ऊंचाई पर स्थित कालपोखरी में छोटा सा तालाब है। तापमान शून्य से नीचे होने पर भी इसका पानी नहीं जमता। पाइन के ऊंचे-ऊंचे पेड़, हरी घास का मैदान, घाटियां व ढेरों अन्य वनस्पतियां यहां देखी जा सकती हैं। मौसम साफ हो तो माउंट एवरेस्ट व कंचनजंघा के हिमाच्छादित शिखरों का पल-पल बदलता रूप लगातार दिखता रहता है।
संदकफू की चोटी
एक फुटबाल के मैदान से कुछ बड़ी है संदकफू की चोटी। एक तरफ भारतीय गांव हैं, दूसरी तरफ नेपाली। यहां शाम पांच बजे ही अंधेरा छा जाता है। सुबह चार बजे से उजाला होने लगता है। ठंड तो बहुत लगेगी, पर थोड़ी हिम्मत कर बाहर निकलें तो सूर्योदय का अनुपम नजारा देख सकते हैं। सुबह के उजाले में नीचे घाटियों में काले-सफेद बादल किसी विशाल कनात से तने नजर आते हैं। बादलों की ओट से कंचनजंघा और उस श्रृंखला की अन्य चोटियां जानो, काबरू, सिमवो व पंडिम तथा माउंट एवरेस्ट श्रृंखला की तीन चोटियां एवरेस्ट, लोहात्से व मकालू अपने भव्यतम रूप में नजर आती हैं।
सुबह सूर्यदेव बादलों के बीच से इंच-इंच बाहर निकलते हैं। उनकी किरणें पहले कंचनजंघा के शिखर को छूती हैं, फिर एवरेस्ट शिखर को। इस स्पर्श से बर्फीली चोटियां पहले हलके सिंदूरी रंग की दिखती हैं, फिर हलकी लाल। जैसे-जैसे किरणें प्रखर होती हैं, इनका रंग सुनहरा हो जाता है। लगता है जैसे किसी ने ढेर सा सोना पिघलाकर बहा दिया हो। यहां सुबह बमुश्किल दो-तीन घंटे धूप रहती है। दिन में अकसर एवरेस्ट और कंचनजंघा बादलों से ढके रहने के कारण नहीं दिखतीं।
पहले पहुंचें न्यू जलपाईगुड़ी
संदकफू पहुंचने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन बंगाल का न्यू जलपाईगुड़ी है। यह देश के सभी प्रमुख शहरों से सीधे जुड़ा है। विमान से जाना हो तो न्यू जलपाईगुड़ी के बागडोगरा हवाई अड्डे पर उतरना होगा। रेलवे स्टेशन या हवाई अड्डे के बाहर से टैक्सी से मानेमंजन पहुंच सकते हैं। संदकफू पर पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा निर्मित हट हैं और नेपाल के गांवों में आठ-दस होटल हैं, जहां रात गुजार सकते हैं। सरकारी आवास के लिए मिरिक या मानेमंजन में ही बुकिंग करा लें तो बेहतर।
गर्म कपड़े जरूर ले जाएं
संदकफू करीब 12,000 फुट की ऊंचाई पर है। यहां ठंड खूब पड़ती है, इसलिए जरूरत के मुताबिक गर्म कपड़े खूब ले जाएं। स्पोर्ट्स शू, छड़ी वगैरह भी साथ रखें। खाना कम खाएं और पानी खूब पिंए। बिस्कुट वगैरह खाते रहें।
अब आ रहा है मौसम
बरसात में संदकफू जाना खतरनाक हो सकता है। दिसंबर-जनवरी में ठंड के कारण जाना ठीक नहीं रहता है। फरवरी से जून और सितंबर से नवंबर के बीच यहां जाना बढि़या रहेगा। यह रोमांचक यात्रा है, इसलिए इसे इसी तरह महसूस करें तो थकान नहीं होगी। वापसी में मानेमंजन या मिरिक से स्थानीय दस्तकारी की चीजें, बढि़या चाय खरीदी जा सकती है।
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